तीन महिला शिक्षिकाओं ने फर्जी बीएड की डिग्री के आधार पर शिक्षा विभाग में नौकरी हासिल की थी, फर्जीवाड़े के उजागर होने पर तीनो शिक्षिकाओं को 5-5 साल जेल की सजा सुनाई गई है।
उत्तराखंड में नौकरी के लिए किए गए फर्जीवाड़े उजागर हो गए हैं, बीते दिनों डाक विभाग में नौकरी पाने को लेकर फर्जीवाड़ा सामने आया था । अब हाल ही में शिक्षा विभाग में हुआ फर्जीवाड़ा सामनें आया है, जंहा रुद्रप्रयाग में तैनात तीन महिला शिक्षिकाओं माया बिष्ट, सरोज मेवाड़ और संगीता राणा ने शिक्षा विभाग में नौकरी पाने के लिए बीएड की फर्जी डिग्री का सहारा लिया है। जब तीनों शिक्षिकाओं पर जांच बैठी तो SIT औंर विभागीय जांच में इनकी डिग्री फर्जी पाई गई। इसके बाद जब चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (मेरठ) से सत्यापन के बाद पुष्टि हुई कि तीनों शिक्षिकाओं ने वहां से कोई डिग्री ली ही नंही है, शिक्षा विभाग जांच के आधार पर मुकदमा दर्ज कराया और इन्हें निलंबित कर बर्खास्त कर दिया गया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अशोक कुमार सैनी की कोर्ट ने तीनों को दोषी ठहराया।
कोर्ट ने तीनों शिक्षिकाओं को फर्जीवाड़े की धारा 420 के तहत पांच-पांच साल का कठोर कारावास और दस हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। यदि आरोपि शिक्षिकाएं जुर्माना नंही भरती हैं तो इसके लिए उन्हे तीन महीने की अतिरिक्त सजा होगी। धारा 471 के तहत दो साल की सजा और पांच हजार रुपये जुर्माना भी लगाया गया, जिसे न चुकाने पर एक महीने का साधारण कारावास भुगतना होगा। राज्य सरकार ने फर्जी शिक्षकों के खिलाफ प्रभावी पैरवी की और शिक्षा विभाग के लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए।